ETF का मतलब क्या होता है ? – ETF Meaning In Hindi

ETF meaning in Hindi :- शेयर मार्केट में equity  मे इन्वेस्ट करने के बारे में तो आप जानते ही होंगे, पर क्या आप जानते हैं, कि shares की तरह ही आप ETF में भी इन्वेस्ट करके मुनाफा कमा सकते हैं।

जिस तरह से shares की खरीद-बिक्री की जाती है, उसी तरह से ETF को भी खरीदा या बेचा जा सकता है। लेकिन कई निवेशक ETF meaning in Hindi के बारे में नहीं जानते है और इस fund में इन्वेस्ट नहीं कर पाते है।

यदि आप भी उन निवेशको में से एक है, तो यह लेख आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस लेख के जरिए हम ETF meaning in Hindi और इससे संबंधित अन्य जानकारी के बारे में चर्चा करने वाले हैं।


ETF क्या है ? – ETF Meaning In Hindi

ETF का पुरा नाम exchange traded funds होता है। यह एक प्रकार के mutual fund होते हैं। यह अलग अलग investors से पैसा जोड़कर फंड के टारगेट के अनुसार अलग-अलग investment option में invest करते हैं। इनको shares की तरह स्टॉक एक्सचेंज में sell और buy किया जा सकता है।

मान लीजिए, टाटा कंपनी के शेयर NSE और BSE पर listed है, तो उन्हें स्टॉक एक्सचेंज खुलने पर कभी भी खरीद सकते हैं या फिर बेच सकते हैं।

इसी प्रकार से ETF को भी स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा जा सकता है और खरीदा जा सकता है, इसी कारण से इन फंड्स को exchange traded funds कहते हैं।

जिस प्रकार से किसी भी शेयर का मूल्य उसकी डिमांड या फिर सप्लाई की वजह से बढ़ता घटता रहता है, उसी प्रकार से ETF का दाम भी स्टॉक एक्सचेंज में डिमांड और सप्लाई के अनुसार घटता और बढ़ता रहता है। ETF के दाम को NAV के नाम से जाना जाता है।


ETF funds के बारे में अन्य जानकारी

ETF funds passively managed funds होते हैं। ETF funds अपने लिए set किये गये index को follow करते है। इन funds को manage करने वाले मैनेजर का काम यही होता है, कि जिस प्रकार से fund के इंडेक्स में shares का हिस्सा है, बिल्कुल उतने ही प्रतिशत part ईटीएफ में जुटाए हुए कुल funds का भी करें।

मान लीजिए कि 8 December को आईटीसी का हिस्सा 4.60%  प्रतिशत था। इसलिए निफ्टी के सभी ETFs के फंड के पैसों का 4.60% हिस्सा ITC में इन्वेस्ट किया होगा।

उसी प्रकार से निफ्टी में reliance का हिस्सा 4.87% का है तो सभी  EFTS फंड का 4.87% part reliance में invest किया होगा।

ETF के fund को manage करने वाले मैनेजर समय-समय पर यह देखते हैं कि यदि index में से किसी शेयर में percentage में कोई बदलाव हो रहा है, तो वह वैसा ही बदलाव ETF के अंदर भी करते हैं।

तभी funds लंबे समय के लिए index को follow कर पाता है और investors को index में जितना रिटर्न दिया होता है और वही रिटर्न मिल पाता है।

NSE पर ETF nifty50 को फॉलो करने वाले सभी ETFs की list आपको NSE की ऑफिशियल वेबसाइट पर मिल जाएगी।

इसमें आपको ETF को जारी करने वाली AMC का नाम, ETF का नाम, उस का सिंबल और वह निफ्टी के कौन से sub index को फॉलो करते हैं तथा उसे किस दिन उसको लांच किया गया है, यह सब जानकारी देखने को मिल जाएगी।


ETF का rate कैसे पता करें ?

ETF के दामों का पता आप किसी भी कंपनी के शेयर का दाम जानकर लगा सकते हैं। आप किसी भी trading site या nse और BSE की वेबसाइट पर जाकर या फिर आप जिस भी ट्रेडिंग एप्लीकेशन का प्रयोग करते हैं, उसे लॉगिन करके इस के दाम के बारे में पता कर सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर, kite जोकि डिस्काउंट ब्रोकर Zerodha की ट्रेडिंग एप्लीकेशन है, यह निवेशकों को बाजार में trade करने की सुविधा देती है।

यदि आपका डिमैट अकाउंट इस Zerodha काईट एप्लीकेशन पर है, तो आप उसे अपने मोबाइल में लॉगिन करके आसानी से ETFs के प्राइस का पता लगा सकते हैं।

इसके लिए आप उसके symbol को सर्च करके अपनी वॉच लिस्ट में ऐड कर सकते हैं, जिससे आपको उसका प्राइस दिखाई दे जाएगा।


ETF में invest करने की क्या शर्तें है ?

ETF में निवेश करने के लिए demat के साथ trading account अकाउंट का होना compulsory  है। इसमें थ्री इन वन अकाउंट खोलने का option भी चुना जा सकता है।

इसमें किसी व्यक्ति के बैंक अकाउंट के साथ ट्रेडिंग अकाउंट और demat account की facility भी मिलती है। इससे सबसे ज्यादा सुविधाएं यह की होती है, कि आप एक ही जगह पर अपने इन्वेस्टमेंट को मैनेज कर पाते हैं।

इसमें Account खोलने के लिए फॉर्म भरना पड़ता है और अब अपनी KYC documentation कंप्लीट करनी पड़ती है।


ETF के Benefits

ऊपर के लेख में आपने जाना कि ईटीएफ क्या होता है। आइए, अब इसके बेनिफिट्स के बारे में चर्चा करते हैं:-

  • इस तरह की funds को बहुत ही आसानी से स्टॉक एक्सचेंज यानी बीएससी या एनएससी पर खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं।
  • यदि ETFs को खरीदने के बाद बहुत थोड़े समय में ही आपको अच्छा प्रॉफिट दे रहा है, तो उसे बेचकर आप ट्रेडिंग भी कर सकते हैं।
  • इनका expansion  ratio  म्युचुअल फंड के एक्सपेंशन रेशों से बहुत ही कम होता है, क्योंकि यह passive managed funds होते हैं।

ETF के नुकसान

ETF का सबसे बड़ा नुकसान यही है, कि इसका ट्रेडिंग वॉल्यूम काफी कम हो सकता है। मान लीजिए, आपने कुछ समय पहले किसी ETFs को खरीद रखा है, परंतु अब आपको पैसों की जरूरत है और आप उस ETFs को बेचने के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर आर्डर लगाते हैं।

परंतु यह पॉसिबिलिटी है, कि बहुत अधिक खरीद और बिक्री ना होने की वजह से आपको इस ईटीएफ की कोई खरीदार ना मिले या यानी कि order प्लेस करने के बावजूद भी आप अपना ईटीएफ नहीं बेच सकते हैं।


निष्कर्ष :-

दोस्तों, आपने इस लेख के माध्यम से ETF meaning in Hindi के बारे में विस्तार पूर्वक जाना है।

हमें उम्मीद है, कि शेयर मार्केट से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए मददगार साबित हो गई।

यदि आप किसी अन्य विषय पर भी जानकारी चाहते हैं, तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं और ऊपर लिखे गए लेख से संबंधित कोई सुझाव आप हमें देना चाहते हैं या कोई प्रश्न आपके मन में है तो हमें कमेंट करके जरूर पूछें।


FAQ’S :

Q1. ETFs का रिटर्न कैसा होता है ?

Ans. Index के जैसा।

Q2. ETF मैं निवेश कैसे करें ?

Ans. शेयर मार्केट ओपन होने पर ईटीएफ में निवेश किया जा सकता है।

Q3. ETF की फुल फॉर्म क्या है ?

Ans. Exchange traded funds.

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